समीक्षा: जापानी सराय लेखक अनुकृति उपाध्याय


किताब का शीर्षक: जापानी सराय

लेखक: अनुकृति उपाध्याय

मूल्य : १९५

प्रकाशक: राजपाल एंड संस

मूल्यांकन: ४. ५ /५

संक्षेप में:  जापानी सराय अनुकृति उपाध्याय का लेखन की दुनिया में पहला कदम है जिसमें सम्मिलित दस कहानियों को हिन्दी कहानी की किसी परम्परा में नहीं रखा जा सकता। ताज़ा हवा के झोंके की तरह ये कहानियाँ बारजे में फैली सर्दी की धूप की तरह हैं-सुकून भी देती हैं और कई बार चुभ भी जाती हैं। इन कहानियों में युवाओं के जीवन की चुनौतियाँ हैं, जो जीवन में अपने को स्थापित करने की जद्दोजहद में लगे हैं-कुछ पाना चाहते हैं और आज़ाद भी होना चाहते हैं। इन कहानियों में रिश्तों का बंधन नहीं साहचर्य का सुख है; कहीं भी ठहराव नहीं दिखाई देता है बल्कि यात्राओँ हैं। उन्हीं यात्राओं में बहुत कुछ मिलता जाता है, खोता जाता है। समय न हर्ष के लिए बचा है न विषाद के लिए। अनेक वर्षों तक हाँगकाँग में बैंकिंग और निवेश के सैक्टर में कार्यरत रहने के बाद अनुकृति उपाध्याय ने साहित्य-जगत में प्रवेश किया है। वह लिखती हैं इस आशा में कि इस रचनात्मक जोड़ने-तोड़ने में वह कुछ अनाम ढूँढा जा सके जो शायद है भी या नहीं भी।

समीक्षा : अनुकृति उपाध्याय की कहानियो का संकलन जापानी सराय नाम से छापा गया है। पहली किताब होने के बावजूद कहानिया काफी मजेदार है और सोचने पे मजबूर कर देती है।

किरदार सभी कहानियो में काफी सरल है, उनकी परेशनिया भी छोटी मोटी हैं। इन सभी कहानियो के किरदार आप और हम जैसे लोग ही हैं। शुरुआती कहानिया जापान में केंद्रित है शायद इसलिए नाम जापानी सराय दिया गया है ।

कहानियो को संजोया भी अच्छे ढंग से- शुरुआती कहानिया सरल है, ज्यादा कुछ नहीं, एक- दो व्यक्तियों के बीच का वार्तालाप दर्शाया गया है । धीरे धीरे बाकि खासकर आखिरी कहानियो में और गंभीरता आती है जैसे की कोई राग हो, शुरुआती सरल और फिर तीव्र स्वर से समापन की और ।

“मैं तो मजाक इसलिए करता हूँ क्यूंकि हॅसने के बहुत ही काम कारण हैं।”

जानकी और चमगादड़ कहानी सबसे उत्कृष्ट है। बाकि कहानिया भी इसी की तरह होती तो ज्यादा मजा आता क्यूंकि इसमें शुरुआत अत्यधिक सरल है और अंत में अचरज भी। जैसे एक कहानी होनी चाहिए। शायद यही इस संग्रह की विशेषता भी है – हर तरह की कहानिया है इसमें, कुछ आपके होठो पे हलकी मुस्कान छोड़ जाएँगी , कुछ सोचने पे मजबूर करेंगी और कुछ शायद रुला भी दे।

सामान्य तौर पे छोटी कहानिया लिखना ज्यादा मुश्किल होता है, उपन्यास में ज्यादा शब्द तो होते ही है लेकिन अगर लेखक गलती कर बैठे तो उसे सुधारने के मौके भी होते है। लेकिन एक लघु कहानी ऐसा मौका नहीं देती । कम शब्दों में अपनी बात कहो और पाठक को रिझाओ भी ।

अनुकृति की लेखन कला काफी अच्छी है लेकिन कुछ कहानिया थोड़ी उदासीन है । ऐसा लगता है लिखते लिखते खत्म करने की जल्दी थी लेकिन एक पहली किताब होने के बावजूद लेखन का स्तर काफी उम्दा है । जरूर पड़े ।

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